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Devalsari

Devalsari

देवभूमि उत्तराखंड को ‘सिम्पली हैवन‘ यूँ ही नहीं कहा जाता | कदम – कदम पर यहां के रमणीक स्थल हर किसी को अपने मोहपाश में बांध लेते है टिहरी जिले के देवलसारी को भी प्रकृति ने मुक्त हाथो से संवारा है | जैव विविधता के मामले में धनी लगभग 25 किलोमीटर में फैला यह क्षेत्र प्रकृति के विविध रंगो को स्वयं में समेटे हुए है | देवदार का घना जंगल,पक्षियों, तितलियों और वन्यजीवों का मोहक संसार देवलसारी की विशिष्ठता है | परिणामस्वरूप यह इको टूरिज्म की दृष्टि से प्रमुख केंद्र के रूप में उभरने लगा है | वर्ष भर में डेढ़ से दो हज़ार लोग यहां पहुंचने लगे है|  क्षेत्र में होम स्टे तैयार होने से देवलसारी से लगे चार ट्रैकिंग रुट पर भी आवाजाही बढ़ी है | यदि आप भी प्रकृति से साक्षात्कार क्र उसकी छांव में सुकून के कुछ पल बिताना चाहते है तो चले आईये देवलसारी |

वन और जंगल के बीच मजबूत रिश्ता :

देवलसारी क्षेत्र वन और जन के बीच मजबूत रिश्तो का उत्कृष्ट उदाहरण है |  क्षेत्र की छह वन पंचायत बंगसील, तेवा,औंटल, बुड़कोट, ठींक व मोलधार यहां की वन सम्पदा और जैवविविधता के संरक्षण में जुटी  हैं | वन विभाग के साथ मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए इन वन पंचायतो से जुड़े युवाओ की 2015 से काम कर रही है | 

पक्षियों की 198 , तितलियों की 200 प्रजातियां :

किसी भी क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता का आकलन वहां पक्षी, तितली व मौथ की प्रजातियों को देखकर किया जा सकता है| देवलसारी पर्यावरण संरक्षण एंव तकनिकी विकास समिति के अध्यक्ष अरुण गौड़ बताते है की इस क्षेत्र में सरंक्षण के लिए किए प्रयासों का ही परिणाम हैं | की यहां पक्षियों की 198 प्रजाति चिंतित की गयी हैं | 
तितलियों की 200 प्रजातियां यहां हैं,जबकि  जबकि  मौथ (रात्रिचर किट- पतंगे) की लगभग 200 प्रजाति चिन्हित की गई हैं

ठहरने की समुचित व्यवयस्था

देवलसारी पहुंचने वाले प्रकृति प्रेमियों व पर्यटकों के लिए क्षेत्र में ठहरने की कोई दिक्क्त नहीं है| यहां वन विभाग का बंगला है और क्षेत्र में पांच -छह होम स्टे भी ग्रामीणों ने तैयार किए हैं देवलसारी पर्यावरण संरक्षण एवं तकनीकी विकास समिति का इकोलॉजी सेंटर भी होम स्टे के रूप में उपयोग में आ रहा है | 
समिति  ने क्षेत्र में इको टूरिज्म पर ध्यान केंद्रित किया है | इसके अंतर्गत पक्षी व तितली अवलोकन, ट्रेकिंग, वाकिंग की गतिविधियां संचालित की जा रही है |

देहरादून से दूरी :

देहरादून से लगभग 75 और पहाड़ो की रानी मसूरी से 40 किलोमीटर की दूरी पर टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक में है देवलसारी| मसूरी वन प्रभाग की देवलसारी रेंज के अंतर्गत आता है यह क्षेत्र |  समुद्रतल से 1650 मीटर की उचाई पर स्थित देवलसारी में देवदार का जंगल  अलग ही छटा बिखेरता है| इससे ऊपर बांज, मोरु, ओक का जंगल है| यहां कुणेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर भी है | देवलसारी की प्राकृतिक सुंदरता ऐसी है की जो एक बार यहां आता है, उसे बार -बार आने की इच्छा होती है|